विवेक के सामने एक शर्त....अब आगे..............चेताक्क्षी अमोघनाथ जी से कहती हैं....." बाबा , अब तो केवल आदिराज काका की ...
अब आगे..............वो पेड़ विवेक को फल खाने के लिए देता है लेकिन विवेक उस पर को लेने से मना ...
एक मायानगरी....अब आगे...........विवेक पूरे जोश में कहता है....."मैं अदिति को बचाने के लिए किसी भी हद तक जाऊंगा , ...
मयन देव से विवेक की मुलाक़ात....अब आगे.............उबांक की बात सुनकर गामाक्ष कहता है....." बिल्कुल उबांक तुम्हारा बदला अकेले नहीं ...
रक्त रंजत खंजर की खोज...अब आगे.................चेताक्क्षी गहरी सांस लेते हुए कहती हैं....." वो खंजर रक्त रंजत खंजरये वो खंजर ...
चैताक्षी का वापस पहरगढ़ आना....अब आगे.............अमोघनाथ जी विवेक से कहते हैं..."वनदेवी एक प्रकृति प्रेम से बनी है , उन्हें ...
वनदेवी कौन है....?..अब आगे.........देविका जी कहती हैं ....." आदित्य , ये तो अमोघनाथ जी ही बताएंगे...."देविका जी के कहने ...
गामाक्ष हुआ पिंजरे में कैद....अब आगे................गामाक्ष अपने नाखूनों से लोगों को जख्मी कर रहा था , , अमोघनाथ ने ...
गामाक्ष को नरभक्षी पिशाच का रूप मिलना...अब आगे................गामाक्ष बड़े गौर से उसे देख रहा था, , अपने आप को ...
आदिराज की मौत गामाक्ष की ख़ुशी...अब आगे............आदिराज के गिरते ही देविका विहल हो उठती है,।।।।धीरे धीरे उस अंडे के ...